प्रश्न अभ्यास
प्रश्न 1: बालिका मैना ने सेनापति ‘हे’ को कौन-कौन से तर्क देकर महल की रक्षा के लिए प्रेरित किया?
उत्तर: “नाना साहब की पुत्री देवी मैना को भस्म कर दिया गया” पाठ में बालिका मैना ने ब्रिटिश सेनापति ‘हे’ के सामने महल की रक्षा के लिए मानवीय और तार्किक बातें रखीं। उसने कहा कि यह महल किसी विद्रोह का केंद्र नहीं है, बल्कि एक घर है जहाँ मासूम और निर्दोष लोग रहते हैं। महल का अपराध केवल यह है कि यह नाना साहब का है। मैना ने यह भी बताया कि सेनापति की बेटी और वह आपस में सहेलियाँ थीं, इसलिए इस स्थान को नष्ट करना अन्याय होगा। अपने साहस, संवेदना और तर्कों से मैना ने सेनापति के हृदय को प्रभावित किया और उसे महल को बचाने पर विचार करने के लिए मजबूर किया।
प्रश्न 2: मैना जड़ पदार्थ मकान को बचाना चाहती थी पर अंग्रेज़ उसे नष्ट करना चाहते थे। क्यों?
उत्तर: मैना महल को केवल एक इमारत नहीं, बल्कि अपने परिवार और मासूम लोगों का आश्रय मानती थी, इसलिए वह उसे बचाना चाहती थी। दूसरी ओर अंग्रेज़ इसे नष्ट कर देना चाहते थे ताकि लोगों में भय फैले और विद्रोह की कोई चिंगारी न बचे। उनके लिए यह महल विद्रोह और नाना साहब की स्मृति का प्रतीक था, इसलिए उन्होंने दमन की नीति अपनाकर उसे मिटाना उचित समझा।
प्रश्न 3: सर टामस ‘हे’ के मैना पर दया-भाव के क्या कारण थे?
उत्तर: सर टामस ‘हे’ के मन में मैना के प्रति दया इसलिए जागी क्योंकि उसने बेहद साहस और सच्चाई से अपनी बात रखी। मैना ने उसे याद दिलाया कि उसकी बेटी और वह आपस में सहेलियाँ थीं। यह व्यक्तिगत रिश्ता सुनकर सेनापति का दिल पसीज गया। साथ ही, मैना की मासूमियत और निडरता ने उसे गहराई से प्रभावित किया। इसलिए उसने उसके प्रति करुणा दिखाई।
प्रश्न 4: मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह उस प्रासाद के ढेर पर बैठकर जी भरकर रो ले लेकिन पाषाण हृदय वाले जनाल ने किस भय से उसकी इच्छा पूर्ण न होने दी?
उत्तर: मैना की अंतिम इच्छा थी कि वह महल के ढेर पर बैठकर अपने दुख और पीड़ा को व्यक्त करे। लेकिन पाषाण हृदय वाले जनाल (अंग्रेज़ सेनापति) ने यह इच्छा पूरी नहीं करने दी। उनका भय था कि अगर मैना अपने दुख को खुलकर व्यक्त करती है, तो इससे विद्रोह की भावनाएँ और जन-प्रतिक्रिया बढ़ सकती हैं। सेनापति को डर था कि लोगों में सहानुभूति और विरोध का भाव पैदा होगा और यह उनके नियंत्रण के लिए खतरा बन सकता है। इसलिए उन्होंने उसकी अंतिम इच्छा को रोक दिया और कठोरता बरतते हुए उसे रोक दिया।
प्रश्न 5: बालिका मैना के चरित्र की कौन-कौन सी विशेषताएँ आप अपनाना चाहेंगे और क्यों ?
उत्तर: बालिका मैना का चरित्र साहस, बुद्धिमत्ता, संवेदनशीलता और न्यायप्रियता से भरा है। मैं इनमें साहस अपनाना चाहूँगा, क्योंकि कठिन परिस्थितियों में डर के बिना सही निर्णय लेना जीवन में बहुत मदद करता है। बुद्धिमत्ता और विवेक अपनाना भी जरूरी है, ताकि समस्याओं का समाधान सोच-समझकर किया जा सके। मैना की संवेदनशीलता और करुणा हमें सिखाती है कि दूसरों के दुख और पीड़ा को समझना और उनकी मदद करना कितना महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, उसकी न्यायप्रियता भी प्रेरणादायक है, क्योंकि सही और गलत के बीच सही निर्णय लेने का साहस हर इंसान में होना चाहिए।
प्रश्न 6: ‘टाइम्स’ पत्र ने 6 सितंबर को लिखा था-‘बड़े दुख का विषय है कि भारत सरकार आज तक उसे दर्दान नाना साहब को नहीं पकड़ सकी। इस वाक्य में भारत सरकार’ से क्या आशय है?
उत्तर: इस वाक्य में ‘भारत सरकार’ का आशय उस समय के ब्रिटिश प्रशासन से है, जो भारत में शासन कर रहा था। टाइम्स पत्र यह व्यक्त कर रहा है कि अंग्रेज़ों की सरकार नाना साहब को पकड़ने में असफल रही, जबकि उसे विद्रोह का मुख्य नेता माना जाता था। यहाँ भारत सरकार शब्द से ब्रिटिश हुकूमत और उसका न्याय तथा कानून लागू करने की क्षमता का उल्लेख किया गया है।
रचना और अभिव्यक्ति
प्रश्न 7: स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में इस प्रकार के लेखन की क्या भूमिका रही होगी?
उत्तर: इस प्रकार के लेखन, जैसे ‘नाना साहब की पुत्री’ जैसा पाठ, लोगों में स्वाधीनता और देशभक्ति की भावना जगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। ये लेखन ब्रिटिश अत्याचार और स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को उजागर करता था। इससे नागरिकों में जागरूकता बढ़ती थी और वे समझ पाते थे कि अन्याय और दमन के खिलाफ खड़ा होना आवश्यक है। इस तरह के साहित्य ने लोक-मानस में उत्साह, साहस और देशभक्ति की भावना पैदा की और स्वाधीनता आंदोलन को आगे बढ़ाने में प्रेरित किया।
प्रश्न 8: कल्पना कीजिए कि मैना के बलिदान की यह खबर आपको रेडियो पर प्रस्तुत करनी है। इन सूचनाओं के आधार पर आप एक रेडियो समाचार तैयार करें और कक्षा में भावपूर्ण शैली में पढ़ें।
उत्तर:
(भावपूर्ण शैली में पढ़ने के लिए तैयार)
“सुप्रभात, श्रोतागण! आज हम आपको 1857 के ऐतिहासिक संघर्ष से जुड़ी एक दुखद और प्रेरणादायक घटना की सूचना दे रहे हैं। नाना साहब की पुत्री, बालिका मैना, जिन्होंने साहस और मानवता का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया, को अंग्रेज़ों ने अपने क्रूर निर्णय के तहत भस्म कर दिया।
मैना ने अपने घर और महल की रक्षा के लिए अद्भुत साहस और बुद्धिमत्ता दिखाई। उसने यह साबित किया कि मासूमियत और करुणा भी वीरता की शक्ति रखती हैं। ब्रिटिश सेनापति सर टामस ‘हे’ को प्रभावित करने के बावजूद, उसे अपने बलिदान का सामना करना पड़ा।
श्रोतागण, इस घटना ने हमें यह सिखाया कि स्वतंत्रता और न्याय के लिए अपने आदर्शों पर अडिग रहना कितना महत्वपूर्ण है। बालिका मैना का बलिदान आज भी हमें साहस, संवेदनशीलता और देशभक्ति की सीख देता है।
यह था आपका आज का विशेष समाचार, धन्यवाद।”
प्रश्न 9: इस पाठ में रिपोर्ताज के प्रारंभिक रूप की झलक मिलती है लेकिन आज अखबारों में अधिकांश खबरें रिपोर्ताज की शैली में लिखी जाती हैं। आप-
(क) कोई दो खबरों को किसी अखबार से काटकर अपनी कॉपी में चिपकाइए तथा कक्षा में पढ़कर सुनाइए।
(ख) अपने आसपास की किसी घटना का वर्णन रिपोर्ताज शैली में कीजिए।
उत्तर:
(क) यह भाग विद्यार्थी कक्षा में प्रैक्टिकल रूप से करेंगे।
आप अपने पसंदीदा अखबार से दो छोटी खबरें काटकर अपनी कॉपी में चिपकाएँ और भावपूर्ण शैली में कक्षा में पढ़ें। इससे रिपोर्ताज की शैली का अनुभव होगा।
(ख) – रिपोर्ताज शैली में उदाहरण:
“दिल्ली के रामलीला मैदान में रविवार को आयोजित पुस्तक मेले में हजारों बच्चों और शिक्षकों ने भाग लिया। बच्चों ने अपनी पसंदीदा किताबें खरीदीं और लेखक व illustrators के साथ बातचीत का आनंद लिया। इस मेले में विशेष रूप से विज्ञान और इतिहास की किताबों को अधिक पसंद किया गया। आयोजकों ने बताया कि इस साल मेले में भाग लेने वालों की संख्या पिछले साल से दोगुनी रही।
इस कार्यक्रम ने बच्चों में पढ़ने के प्रति उत्साह बढ़ाने के साथ ही स्थानीय पुस्तक विक्रेताओं और लेखकों को भी प्रोत्साहित किया। उपस्थित शिक्षकों का कहना था कि इस तरह के कार्यक्रम न केवल ज्ञानवर्धक हैं बल्कि बच्चों में कल्पनाशीलता और रचनात्मकता भी बढ़ाते हैं।”
प्रश्न 10: आप किसी ऐसे बालक/बालिका के बारे में एक अनुच्छेद लिखिए जिसने कोई बहादुरी का काम किया हो।
उत्तर: मैं रोहन नाम के एक बालक के बारे में लिखना चाहता हूँ, जिसने हाल ही में अपनी बहादुरी का उदाहरण दिया। रोहन अपने मोहल्ले के बच्चों के साथ खेल रहा था कि अचानक पास की नहर में एक छोटा बच्चा गिर गया। बिना किसी डर के रोहन ने तुरंत कूद कर बच्चे को पानी से बाहर निकाला। उसने न केवल बच्चे की जान बचाई बल्कि अपने साहस और तेज निर्णय से सभी को प्रभावित किया। रोहन का यह काम दिखाता है कि साहस और त्वरित सोच छोटी उम्र में भी कितनी महत्वपूर्ण होती है। हमें ऐसे बच्चों से प्रेरणा लेकर अपने समाज में मदद और न्याय के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।